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<p><span data-sheets-value="{"1":2,"2":"धीरूभाई अंबानी की जीवन गाथा सही मायने में एक आम भारतीय के ‘रंक से राजा’ बनने की कहानी है। वे एक गरीब स्कूल-मास्टर के घर में पैदा हुए और विश्व के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक बनकर अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फोब्र्स-500’ में शुमार किए जाने लगे। उन्हें भारत का सर्वाधिक क्रांतिकारी एवं ऊर्जावान उद्यमी माना जाता है। वे एक महान दृष्टव्य वाले व्यक्ति थे। उनमें महान उद्यमशीलता विद्यमान थी। उन्होंने प्रत्येक अवसर का लाभ उठाते हुए व्यापार में अभूतपूर्व प्रगति की। उद्योग जगत में उनका यह अभूतपूर्व उत्थान भारतीय उद्योग के इतिहास की सर्वाधिक उल्लेखनीय घटना है। उन्हें व्यापक रूप से भारतीय इक्विटी-कल्ट (शेयर-संस्कृति) को आकार देने के लिये जाना एवं सराहा जाता है। उनकी अग्रणी पहल ने लाखों छोटे निवेशकों को बाजार में निवेश हेतु आकर्षित किया जिसमें पहले केवल कुछ चुनिंदा वित्त ीय संस्थानों का ही वर्चस्व रहता था। उनकी पहल और प्रयासों ने उन आम लोगों के लिये अरबों रुपयों का सृजन कर दिखाया, जिन्होंने उन पर और उनके दृष्टव्य पर भरोसा किया। उन्हें 20वीं सदी के भारतीय उद्यमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और शताब्दी का धन-संपदा का सर्वश्रेष्ठ सृजक माना गया है। प्रबंधन संस्थानों के विद्यार्थी इस मैट्रिक पास, महान दृष्टव्य एवं व्यावसायिक कौशल वाले व्यक्ति के जीवन से सबक सीख सकते हैं। अंदर के पृष्ठों में इस बात अत्यंत रोचक एवं प्रेरक वर्णन है कि कैसे एक निर्धन ग्रामीण बालक इतनी अल्पावधि में भारत के औद्योगिक इतिहास की एक महान विभूति बन कर उभरा जो कि भारत के पूर्व-स्थापित बड़े औद्योगिक घराने अपने प्रचुर संसाधनों एवं राजनैतिक संबंधों के होते हुए भी एक शताब्दी में भी नहीं बन पाए थे।"}" data-sheets-userformat="{"2":12477,"3":{"1":0,"3":1},"5":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"6":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"7":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"8":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"10":1,"15":"Calibri","16":11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">धीरूभाई अंबानी की जीवन गाथा सही मायने में एक आम भारतीय के ‘रंक से राजा’ बनने की कहानी है। वे एक गरीब स्कूल-मास्टर के घर में पैदा हुए और विश्व के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक बनकर अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फोब्र्स-500’ में शुमार किए जाने लगे। उन्हें भारत का सर्वाधिक क्रांतिकारी एवं ऊर्जावान उद्यमी माना जाता है। वे एक महान दृष्टव्य वाले व्यक्ति थे। उनमें महान उद्यमशीलता विद्यमान थी। उन्होंने प्रत्येक अवसर का लाभ उठाते हुए व्यापार में अभूतपूर्व प्रगति की। उद्योग जगत में उनका यह अभूतपूर्व उत्थान भारतीय उद्योग के इतिहास की सर्वाधिक उल्लेखनीय घटना है। उन्हें व्यापक रूप से भारतीय इक्विटी-कल्ट (शेयर-संस्कृति) को आकार देने के लिये जाना एवं सराहा जाता है। उनकी अग्रणी पहल ने लाखों छोटे निवेशकों को बाजार में निवेश हेतु आकर्षित किया जिसमें पहले केवल कुछ चुनिंदा वित्त ीय संस्थानों का ही वर्चस्व रहता था। उनकी पहल और प्रयासों ने उन आम लोगों के लिये अरबों रुपयों का सृजन कर दिखाया, जिन्होंने उन पर और उनके दृष्टव्य पर भरोसा किया। उन्हें 20वीं सदी के भारतीय उद्यमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और शताब्दी का धन-संपदा का सर्वश्रेष्ठ सृजक माना गया है। प्रबंधन संस्थानों के विद्यार्थी इस मैट्रिक पास, महान दृष्टव्य एवं व्यावसायिक कौशल वाले व्यक्ति के जीवन से सबक सीख सकते हैं। अंदर के पृष्ठों में इस बात अत्यंत रोचक एवं प्रेरक वर्णन है कि कैसे एक निर्धन ग्रामीण बालक इतनी अल्पावधि में भारत के औद्योगिक इतिहास की एक महान विभूति बन कर उभरा जो कि भारत के पूर्व-स्थापित बड़े औद्योगिक घराने अपने प्रचुर संसाधनों एवं राजनैतिक संबंधों के होते हुए भी एक शताब्दी में भी नहीं बन पाए थे।</span><br></p>