Mother Teresa ki Jeevni

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Author: RPH Editorial Board
Publisher: Ramesh Publishing House
ISBN-10: 9350122650
ISBN-13: 9789350122655
Publishing Year: 31 August 2016
No. of Pages: 56
Weight: ‎ 70 g
Language: Hindi
Book Binding: Paperback

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<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;यह पुस्तक मदर टेरेसा की मान्यताओं, उनके प्रख्यात मानवीय कार्यों और विश्व के सर्वाधिक निर्धन लोगों के बीच रहने एवं कार्य करने की उनकी भावना का उत्कृष्ट अवलोकन करवाती है। इस जीवनी में पाठक एग्नेस गोंझा बोजाझिउ को उनके साधारण मेसिडोनियन जन्म से लेकर एक विश्वप्रसिद्ध व्यक्तित्व ‘मदर टेरेसा’ बनने तक उचित विस्तार में जानेंगे। वह नन, जिसने कलकत्ता के अनेक बीमार और मृतप्रायः लोगों की सेवा की और अपनी मिशनरीज आॅफ चैरिटी की संपूर्ण विश्व में स्थापना की, के छोटी आयु में ही लिये जाने वाले विलक्षण दृढ़ संकल्प के विषय में जानेंगे। यह पुस्तक पढ़कर पाठक यह विचार करने पर बाध्य होंगे कि मदर टेरेसा को ‘संत’ की उपाधि प्राप्त होना महज संयोग नहीं था बल्कि वे सर्वथा इसके योग्य थीं। मदर टेरेसा एक साधारण घरेलू लड़की के सांसारिक जीवन से ऊपर उठकर एक संत, जो प्रायः गरीबों, बीमारों और मृतप्रायः लोगों के लिये साक्षात् ईश्वर का रूप थीं, के रूप में उभरी थीं। यह जीवनी दर्शाती है कि उन्होंने कैसे अपना संपूर्ण घरेलू सुखमय जीवन त्यागकर मानवता की सेवा के लिए अर्पण कर दिया। जब उनके इन कार्यों से उन्हें प्रसिद्धि और पुरस्कार मिले तो उन्होंने उन्हें भी अपने मानवीय सेवा कार्यों को और आगे बढ़ाने में लगा दिया। इस पुस्तक को पढ़कर यदि आपके हृदय में किसी भी एक जरूरतमंद की मदद करने की भावना जाग्रत होती है तो इस पुस्तक की रचना सार्थक होगी। &quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">यह पुस्तक मदर टेरेसा की मान्यताओं, उनके प्रख्यात मानवीय कार्यों और विश्व के सर्वाधिक निर्धन लोगों के बीच रहने एवं कार्य करने की उनकी भावना का उत्कृष्ट अवलोकन करवाती है। इस जीवनी में पाठक एग्नेस गोंझा बोजाझिउ को उनके साधारण मेसिडोनियन जन्म से लेकर एक विश्वप्रसिद्ध व्यक्तित्व ‘मदर टेरेसा’ बनने तक उचित विस्तार में जानेंगे। वह नन, जिसने कलकत्ता के अनेक बीमार और मृतप्रायः लोगों की सेवा की और अपनी मिशनरीज आॅफ चैरिटी की संपूर्ण विश्व में स्थापना की, के छोटी आयु में ही लिये जाने वाले विलक्षण दृढ़ संकल्प के विषय में जानेंगे। यह पुस्तक पढ़कर पाठक यह विचार करने पर बाध्य होंगे कि मदर टेरेसा को ‘संत’ की उपाधि प्राप्त होना महज संयोग नहीं था बल्कि वे सर्वथा इसके योग्य थीं। मदर टेरेसा एक साधारण घरेलू लड़की के सांसारिक जीवन से ऊपर उठकर एक संत, जो प्रायः गरीबों, बीमारों और मृतप्रायः लोगों के लिये साक्षात् ईश्वर का रूप थीं, के रूप में उभरी थीं। यह जीवनी दर्शाती है कि उन्होंने कैसे अपना संपूर्ण घरेलू सुखमय जीवन त्यागकर मानवता की सेवा के लिए अर्पण कर दिया। जब उनके इन कार्यों से उन्हें प्रसिद्धि और पुरस्कार मिले तो उन्होंने उन्हें भी अपने मानवीय सेवा कार्यों को और आगे बढ़ाने में लगा दिया। इस पुस्तक को पढ़कर यदि आपके हृदय में किसी भी एक जरूरतमंद की मदद करने की भावना जाग्रत होती है तो इस पुस्तक की रचना सार्थक होगी।</span><br></p>