लाला लाजपत राय की जीवनी एक महान स्वतंत्रता सेनानी की जीवन-गाथा है जो स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीदों की प्रथम पंक्ति में थे। यद्यपि वे अपने जीवनकाल में स्वतंत्र भारत में सांस नहीं ले पाये फिर भी उनके सर्वोच्च बलिदान ने करोड़ों भारतीयों के लिये स्वतंत्रता का द्वार खोल दिया। लाला लाजपतराय ‘पंजाब केसरी’ के नाम से लोकप्रिय थे। यह उनके लिये एक पूर्णतः उपयुक्त उपाधि थी जिसे उन्होंने वीरतापूर्वक अपनी छाती पर लाठियां खाकर वास्तव में सार्थक सिद्ध कर दिया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद भी वे अंग्रेजों के विरुद्ध अपने आंदोलन एवं संघर्ष में डटे रहे। अंदर के पृष्ठों में इस बात का रोचक वर्णन है कि कैसे एक साधारण स्कूल-शिक्षक का एक विनम्र पुत्र एक प्रसिद्ध वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और एक स्वतंत्रता सेनानी बना जिसकी गणना महात्मा-गांधी, जवाहरलाल नेहरू और मदनमोहन मालवीय सरीखे शीर्ष नेताओं में हुई ओर जिसके सर्वोच्च बलिदान ने सरदार भगतसिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों को ब्रिटिश सरकार से इसका बदला लेने के लिये अपनी स्वयं की कुर्बानी देने के लिये प्रेरित किया।