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<p><span data-sheets-value="{"1":2,"2":"सी.वी. रमन की जीवनी भारत के सर्वाधिक ज्योतिर्मय पुत्र का जीवन-चित्रण है जिसने हमारे देश एवं विश्व में विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की जो कि उन्हीं के नाम से जाना जाता है। उन्होंने उस काल में नोबल पुरस्कार प्राप्त किया जब भारत स्वाधीन नहीं था और शिक्षा, प्रयोग एवं अनुसंधान की सुविधाएं अत्यंत दुर्लभ थीं। यह भी उनका एक दुर्लभ गुण था कि एक ऐसी सरकारी सेवा में कार्य करते हुए, जिसमें उनका विज्ञान और प्रयोगों से कोई संबंध नहीं था, उन्होंने रात-रातभर जागकर अध्ययन किया, प्रयोग किये, स्वतः गहन अनुसंधान करते रहे और विज्ञान के प्रति अपने प्रेम को जीवित रखा। अंदर के पृष्ठों में इस बात का खोजपूर्ण वर्णन है कि कैसे एक ग्रामीण बालक बड़ा होकर अपनी लगन और खोज करने की उत्कट भावना के साथ स्व-अध्ययन और प्रयोग करते-करते प्रथम भारतीय ही नहीं बल्कि प्रथम एशियाई वैज्ञानिक बना, जिसको नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस प्रकार उसने विश्व के उन महानतम वैज्ञानिकों में अपना स्थान बना लिया जिन्होंने आधुनिक विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों की स्थापना की थी।"}" data-sheets-userformat="{"2":12477,"3":{"1":0,"3":1},"5":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"6":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"7":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"8":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"10":1,"15":"Calibri","16":11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">सी.वी. रमन की जीवनी भारत के सर्वाधिक ज्योतिर्मय पुत्र का जीवन-चित्रण है जिसने हमारे देश एवं विश्व में विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की जो कि उन्हीं के नाम से जाना जाता है। उन्होंने उस काल में नोबल पुरस्कार प्राप्त किया जब भारत स्वाधीन नहीं था और शिक्षा, प्रयोग एवं अनुसंधान की सुविधाएं अत्यंत दुर्लभ थीं। यह भी उनका एक दुर्लभ गुण था कि एक ऐसी सरकारी सेवा में कार्य करते हुए, जिसमें उनका विज्ञान और प्रयोगों से कोई संबंध नहीं था, उन्होंने रात-रातभर जागकर अध्ययन किया, प्रयोग किये, स्वतः गहन अनुसंधान करते रहे और विज्ञान के प्रति अपने प्रेम को जीवित रखा। अंदर के पृष्ठों में इस बात का खोजपूर्ण वर्णन है कि कैसे एक ग्रामीण बालक बड़ा होकर अपनी लगन और खोज करने की उत्कट भावना के साथ स्व-अध्ययन और प्रयोग करते-करते प्रथम भारतीय ही नहीं बल्कि प्रथम एशियाई वैज्ञानिक बना, जिसको नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस प्रकार उसने विश्व के उन महानतम वैज्ञानिकों में अपना स्थान बना लिया जिन्होंने आधुनिक विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों की स्थापना की थी।</span><br></p>