Categories: Biography

Rani Lakshmi Bai ki Jeevni

₹35.00 M.R.P.:₹ 35.00 You Save: ₹0.00  (0.00% OFF)
<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी एक ऐसी भारतीय वीरांगना की जीवन गाथा है जिसने केवल 22 वर्ष की छोटी-सी आयु में ही सभी भारतीयों एवं विश्व के लोगों के मन में अपने शौर्य, वीरता, देशप्रेम एवं बलिदान द्वारा एक अनूठी मिसाल कायम कर दी थी। उन्होंने ऐसी अद्वितीय बहादुरी एवं बलिदान का प्रदर्शन किया जो उनके समकालीन पुरुष भी दिखाने में सर्वथा असफल रहे थे, वह भी उस युग में जब अधिकांश महिलाओं से घूंघट और परदों में छिपे रहने की अपेक्षा की जाती थी। उन्होंने न केवल घूंघट और परदों के सदियों पुराने रीति-रिवाज स्वयं तोड़े बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया कि वे वीरांगना बनें, एकजुट हों और अपनी राज्य के लिये पुरुष सैनिकों की भांति संघर्ष करें। वे अपने समय की प्रथम शासिका थीं जिन्होंने ब्रिटिश सरकार से विवाद किया, विरोध किया, ललकारा और यहाँ तक कि बहादुरी से युद्ध भी किया। उन्होंने पुरुषों व महिलाओं की अपनी सेना संगठित की और ब्रिटिश सेना को युद्धभूमि में करारा जवाब दिया। अंदर के पृष्ठों में एक साधारण मातृहीन बालिका की रोमांचक कथा का वर्णन है जो एक रानी बनी और अपने अनुकरणीय साहस और सर्वोच्च बलिदान के द्वारा अपने राज्य और प्रजा की आजादी के लिये एक रानी के रूप में ही अमर हो गई। उन्होंने वास्तव में विश्व के प्रत्येक पुरुष एवं नारी के लिए बहादुरी और बलिदान का ऐसा अविस्मरणीय उदाहरण स्थापित कर दिया जिसे आने वाली पीढ़ियाँ कदापि भूल नहीं पाएँगी और सदा उनसे प्रेरणा प्राप्त करती रहेंगीं।&quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी एक ऐसी भारतीय वीरांगना की जीवन गाथा है जिसने केवल 22 वर्ष की छोटी-सी आयु में ही सभी भारतीयों एवं विश्व के लोगों के मन में अपने शौर्य, वीरता, देशप्रेम एवं बलिदान द्वारा एक अनूठी मिसाल कायम कर दी थी। उन्होंने ऐसी अद्वितीय बहादुरी एवं बलिदान का प्रदर्शन किया जो उनके समकालीन पुरुष भी दिखाने में सर्वथा असफल रहे थे, वह भी उस युग में जब अधिकांश महिलाओं से घूंघट और परदों में छिपे रहने की अपेक्षा की जाती थी। उन्होंने न केवल घूंघट और परदों के सदियों पुराने रीति-रिवाज स्वयं तोड़े बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया कि वे वीरांगना बनें, एकजुट हों और अपनी राज्य के लिये पुरुष सैनिकों की भांति संघर्ष करें। वे अपने समय की प्रथम शासिका थीं जिन्होंने ब्रिटिश सरकार से विवाद किया, विरोध किया, ललकारा और यहाँ तक कि बहादुरी से युद्ध भी किया। उन्होंने पुरुषों व महिलाओं की अपनी सेना संगठित की और ब्रिटिश सेना को युद्धभूमि में करारा जवाब दिया। अंदर के पृष्ठों में एक साधारण मातृहीन बालिका की रोमांचक कथा का वर्णन है जो एक रानी बनी और अपने अनुकरणीय साहस और सर्वोच्च बलिदान के द्वारा अपने राज्य और प्रजा की आजादी के लिये एक रानी के रूप में ही अमर हो गई। उन्होंने वास्तव में विश्व के प्रत्येक पुरुष एवं नारी के लिए बहादुरी और बलिदान का ऐसा अविस्मरणीय उदाहरण स्थापित कर दिया जिसे आने वाली पीढ़ियाँ कदापि भूल नहीं पाएँगी और सदा उनसे प्रेरणा प्राप्त करती रहेंगीं।</span><br></p>

Biography of Dr. Bhimrao Ambedkar (Hindi)

₹35.00 M.R.P.:₹ 35.00 You Save: ₹0.00  (0.00% OFF)
<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;डा. भीमराव अम्बेडकर भारत के एक महानतम विधिवेत्ता, विद्वान, राजनीतिज्ञ और बौद्ध पुनरुत्थानवादी थे। वे भारत के संविधान के मुख्य निर्माता थे। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में एक महान भूमिका निभाई थी। वे भारत के प्रथम विधि मंत्राी भी थे। डाॅ. अम्बेडकर को भारत में दलितों एवं पिछड़े वर्ग के लोगों का ‘मसीहा’ माना जाता है। पुस्तक इन बातों का रोचक वर्णन है कि कैसे एक निम्न वर्ग और गरीब परिवार का एक औसत बालक सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करके दलितों और पिछड़े वर्ग का मसीहा बन गया। पुस्तक उनके व्यक्तित्व और जीवन-चरित्र पर भी पर्याप्त प्रकाश डालती है। हमें आशा है कि पुस्तक पाठकों में उनके प्रति जिज्ञासा और रुचि जागृत करने में सफल होगी।&quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">डा. भीमराव अम्बेडकर भारत के एक महानतम विधिवेत्ता, विद्वान, राजनीतिज्ञ और बौद्ध पुनरुत्थानवादी थे। वे भारत के संविधान के मुख्य निर्माता थे। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में एक महान भूमिका निभाई थी। वे भारत के प्रथम विधि मंत्राी भी थे। डाॅ. अम्बेडकर को भारत में दलितों एवं पिछड़े वर्ग के लोगों का ‘मसीहा’ माना जाता है। पुस्तक इन बातों का रोचक वर्णन है कि कैसे एक निम्न वर्ग और गरीब परिवार का एक औसत बालक सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करके दलितों और पिछड़े वर्ग का मसीहा बन गया। पुस्तक उनके व्यक्तित्व और जीवन-चरित्र पर भी पर्याप्त प्रकाश डालती है। हमें आशा है कि पुस्तक पाठकों में उनके प्रति जिज्ञासा और रुचि जागृत करने में सफल होगी।</span><br></p>

Biography of Sarojini Naidu (Hindi)

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<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;प्रस्तुत पुस्तक सरोजिनी नायडू की संक्षिप्त जीवनगाथा है, जो कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक मुख्य महिला नेता थीं। पुस्तक पाठकों को सरोजिनी नायडू के बहुमुखी व्यक्तित्व से परिचित करवाती है। ‘भारत कोकिला’ के नाम से विख्यात सरोजिनी नायडू एक प्रतिष्ठित कवयित्री, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं अपने समय की एक महान वक्ता थीं। पुस्तक विभिन्न विषयों पर उनके विचारों को सरल एवं संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करती है। पुस्तक यह भी दर्शाती है कि कैसे उन्होंने जातिगत विवाह-व्यवस्था के विरुद्ध जाकर विवाह किया व अन्य नारियों के लिये प्रेरणा का स्रोत बनीं और कैसे उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता और महिला-सशक्तिकरण के लिए कार्य किया। यह पुस्तक महात्मा गाँधी के साथ उनके स्नेहपूर्ण संबंधों पर भी प्रकाश डालती है। पुस्तक में उनके जन्म से लेकर महान कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी बनकर देश को आजादी दिलवाने तक की प्रायः सभी मुख्य घटनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है। हमें आशा है कि यह पुस्तक सरोजिनी नायडू के महान व्यक्तित्व को जानने एवं समझने में शिक्षार्थियों एवं अन्य पाठकों के लिए पूर्ण उपयोगी सिद्ध होगी।&quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">प्रस्तुत पुस्तक सरोजिनी नायडू की संक्षिप्त जीवनगाथा है, जो कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक मुख्य महिला नेता थीं। पुस्तक पाठकों को सरोजिनी नायडू के बहुमुखी व्यक्तित्व से परिचित करवाती है। ‘भारत कोकिला’ के नाम से विख्यात सरोजिनी नायडू एक प्रतिष्ठित कवयित्री, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं अपने समय की एक महान वक्ता थीं। पुस्तक विभिन्न विषयों पर उनके विचारों को सरल एवं संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करती है। पुस्तक यह भी दर्शाती है कि कैसे उन्होंने जातिगत विवाह-व्यवस्था के विरुद्ध जाकर विवाह किया व अन्य नारियों के लिये प्रेरणा का स्रोत बनीं और कैसे उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता और महिला-सशक्तिकरण के लिए कार्य किया। यह पुस्तक महात्मा गाँधी के साथ उनके स्नेहपूर्ण संबंधों पर भी प्रकाश डालती है। पुस्तक में उनके जन्म से लेकर महान कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी बनकर देश को आजादी दिलवाने तक की प्रायः सभी मुख्य घटनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है। हमें आशा है कि यह पुस्तक सरोजिनी नायडू के महान व्यक्तित्व को जानने एवं समझने में शिक्षार्थियों एवं अन्य पाठकों के लिए पूर्ण उपयोगी सिद्ध होगी।</span><br></p>

Rabindra Nath Tagore ki Jeevni (Hindi)

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<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;रवीन्द्रनाथ टैगोर एक विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक थे। वह एकमात्र ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला है। साथ ही, वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम एशियाई और साहित्य में नोबेल पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय भी थे। वह दुनिया के एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान हैं भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बाँग्ला’। गुरुदेव के नाम से भी प्रसिद्ध रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बांग्ला साहित्य और संगीत को एक नई दिशा दी। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने भारतीय सभ्यता की अच्छाइयों को पश्चिम में और वहाँ की अच्छाइयों को यहाँ पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब वे मात्र 8 वर्ष के थे तब उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। 16 वर्ष की आयु में उनकी कवितायें प्रकाशित भी हो गयीं थीं। वह परम राष्ट्रवादी थे और ब्रिटिश राज की भत्र्सना करते हुए उन्होंने देश की आजादी की मांग की थी। जलियाँवाला बाग कांड के बाद उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दिए गए ‘नाइटहुड’ का त्याग कर दिया था। अंदर के पृष्ठों में इस विषय पर रुचिपूर्ण विवरण है कि कैसे औपचारिक शिक्षा से दूर भागने वाला एक विद्यार्थी कालांतर में एक महान कवि, साहित्यकार एवं दार्शनिक बनकर विश्वपटल पर उभरा और अपनी कृ तियों द्वारा अमिट छाप छोड़ गया।&quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">रवीन्द्रनाथ टैगोर एक विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक थे। वह एकमात्र ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला है। साथ ही, वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम एशियाई और साहित्य में नोबेल पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय भी थे। वह दुनिया के एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान हैं भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बाँग्ला’। गुरुदेव के नाम से भी प्रसिद्ध रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बांग्ला साहित्य और संगीत को एक नई दिशा दी। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने भारतीय सभ्यता की अच्छाइयों को पश्चिम में और वहाँ की अच्छाइयों को यहाँ पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब वे मात्र 8 वर्ष के थे तब उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। 16 वर्ष की आयु में उनकी कवितायें प्रकाशित भी हो गयीं थीं। वह परम राष्ट्रवादी थे और ब्रिटिश राज की भत्र्सना करते हुए उन्होंने देश की आजादी की मांग की थी। जलियाँवाला बाग कांड के बाद उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दिए गए ‘नाइटहुड’ का त्याग कर दिया था। अंदर के पृष्ठों में इस विषय पर रुचिपूर्ण विवरण है कि कैसे औपचारिक शिक्षा से दूर भागने वाला एक विद्यार्थी कालांतर में एक महान कवि, साहित्यकार एवं दार्शनिक बनकर विश्वपटल पर उभरा और अपनी कृ तियों द्वारा अमिट छाप छोड़ गया।</span><br></p>

Lohpurush' Saradar Vallabhbhai Patel ki Jeevni (Hindi)

₹35.00 M.R.P.:₹ 35.00 You Save: ₹0.00  (0.00% OFF)
<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;सरदार पटेल एक महान प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। उनके जैसे व्यक्ति हजारों वर्षों में एक बार जन्म लेते हैं। ऐसे व्यक्तित्व इतिहास का निर्माण करते हैं और समय की रेत पर अपने पाँवों की अमिट छाप छोड़ जाते हैं जो आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें जीवन में उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रेरणा देते हैं। 20वीं सदी के प्रथम मध्याह्न में वे महात्मा गांधी के साथ भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर उभरे और शीघ्र ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की प्रथम पंक्ति के नेता बन गए। इसके अतिरिक्त, कड़े अनुशासन द्वारा उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एक अनुपम एवं मजबूत आधार प्रदान किया। आजादी के बाद, अल्पसमय और सौहार्दपूर्ण तरीकों से उन्होंने 565 अलग-अलग रियासतों को भारतीय संघ में मिलाकर भारत एवं विश्व के इतिहास में अपना अतुलनीय योगदान दिया। यही नहीं, आजादी के बाद उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति, जनसंख्या की अदला-बदली एवं अन्य प्रशासनिक समस्याओं को बड़ी कुशलतापूर्वक संभाला। उन्होंने लाखों शरणार्थियों के राहत एवं पुनर्वास में मदद की एवं प्रशासनिक एवं पुलिस सेवाओं का पुनर्गठन करके उनका भारतीयकरण किया और उन्हें लोकतांत्रिक ढाँचे के अनुरूप बनाया जिससे कि वे उन्हें जनता एवं सरकार के मध्य एक कड़ी की भूमिका निभा सकें। उन्होंने मौलिक अधिकार कमेटी सहित अनेक महत्वपूर्ण कमेटियों का नेतृत्व किया और राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता की दृष्टि से कार्य किया। इस पुस्तक द्वारा हमने पाठकों को सरदार पटेल के जीवन के प्रायः सभी पहलुओं से अवगत करवाने का प्रयास किया है। पुस्तक उनके बचपन से लेकर अंत समय तक की प्रायः सभी घटनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत करती है। हमें आशा है कि इस पुस्तक द्वारा हम पाठकों को उनके जीवन एवं महान व्यक्तित्व से निकट से परिचित करवाने में सफल होंगे।&quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">सरदार पटेल एक महान प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। उनके जैसे व्यक्ति हजारों वर्षों में एक बार जन्म लेते हैं। ऐसे व्यक्तित्व इतिहास का निर्माण करते हैं और समय की रेत पर अपने पाँवों की अमिट छाप छोड़ जाते हैं जो आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें जीवन में उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रेरणा देते हैं। 20वीं सदी के प्रथम मध्याह्न में वे महात्मा गांधी के साथ भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर उभरे और शीघ्र ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की प्रथम पंक्ति के नेता बन गए। इसके अतिरिक्त, कड़े अनुशासन द्वारा उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एक अनुपम एवं मजबूत आधार प्रदान किया। आजादी के बाद, अल्पसमय और सौहार्दपूर्ण तरीकों से उन्होंने 565 अलग-अलग रियासतों को भारतीय संघ में मिलाकर भारत एवं विश्व के इतिहास में अपना अतुलनीय योगदान दिया। यही नहीं, आजादी के बाद उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति, जनसंख्या की अदला-बदली एवं अन्य प्रशासनिक समस्याओं को बड़ी कुशलतापूर्वक संभाला। उन्होंने लाखों शरणार्थियों के राहत एवं पुनर्वास में मदद की एवं प्रशासनिक एवं पुलिस सेवाओं का पुनर्गठन करके उनका भारतीयकरण किया और उन्हें लोकतांत्रिक ढाँचे के अनुरूप बनाया जिससे कि वे उन्हें जनता एवं सरकार के मध्य एक कड़ी की भूमिका निभा सकें। उन्होंने मौलिक अधिकार कमेटी सहित अनेक महत्वपूर्ण कमेटियों का नेतृत्व किया और राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता की दृष्टि से कार्य किया। इस पुस्तक द्वारा हमने पाठकों को सरदार पटेल के जीवन के प्रायः सभी पहलुओं से अवगत करवाने का प्रयास किया है। पुस्तक उनके बचपन से लेकर अंत समय तक की प्रायः सभी घटनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत करती है। हमें आशा है कि इस पुस्तक द्वारा हम पाठकों को उनके जीवन एवं महान व्यक्तित्व से निकट से परिचित करवाने में सफल होंगे।</span><br></p>

Biography of Swami Vivekananda (Hindi)

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<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में हुआ। वे वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक प्रसिद्ध वकील थे, जो पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे और अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अंग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढर्रे पर चलाना चाहते थे। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। उनका अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से ही अत्यंत तीव्र थी और उनमें परमात्मा को प्राप्त करने की लालसा बहुत प्रबल थी। 1879 में 16 वर्ष की आयु में उन्होंने कलकत्ता से परीक्षा पास की। अपने शिक्षाकाल में वे सर्वाधिक लोकप्रिय और एक जिज्ञासु छात्र थे किंतु हर्बर्ट स्पेंसर के नास्तिकवाद का उन पर पूरा प्रभाव था। उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की और ब्रह्म समाज में शामिल हुए, जो हिन्दू धर्म में सुधार लाने तथा उसे आधुनिक बनाने का प्रयास कर रहा था। किन्तु वहाँ उनके चित्त को संतोष प्राप्त नहीं हुआ।&quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में हुआ। वे वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक प्रसिद्ध वकील थे, जो पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे और अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अंग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढर्रे पर चलाना चाहते थे। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। उनका अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से ही अत्यंत तीव्र थी और उनमें परमात्मा को प्राप्त करने की लालसा बहुत प्रबल थी। 1879 में 16 वर्ष की आयु में उन्होंने कलकत्ता से परीक्षा पास की। अपने शिक्षाकाल में वे सर्वाधिक लोकप्रिय और एक जिज्ञासु छात्र थे किंतु हर्बर्ट स्पेंसर के नास्तिकवाद का उन पर पूरा प्रभाव था। उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की और ब्रह्म समाज में शामिल हुए, जो हिन्दू धर्म में सुधार लाने तथा उसे आधुनिक बनाने का प्रयास कर रहा था। किन्तु वहाँ उनके चित्त को संतोष प्राप्त नहीं हुआ।</span><br></p>

Biography of Indira Gandhi (Hindi)

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<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जिन्होंने अपने जीवनकाल में बहुत से ऐसे कार्य किए, जिनसे भारत देश को अपना अस्तित्व बनाए रखने में बहुत मदद मिली, बीसवीं सदी की विश्व की सर्वाधिक चर्चित महिला राजनीतिज्ञों में से एक थीं। उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। इंदिरा गांधी ने भारी समस्याओं एवं चुनौतियों का सामना करते हुए अपना संपूर्ण जीवन देश की प्रगति के लिये अर्पित कर दिया। 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान बांग्लादेश के गठन में उन्होंने एक सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे न केवल पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए बल्कि उसकी शक्ति भी आधी रह गई। इन्दिरा गांधी के निडर राजनीतिक नेतृत्व के कारण ही पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें ‘दुर्गा’ की संज्ञा दी थी। 1974 में उन्होंने पोखरण में परमाणु का परीक्षण करवाया जिससे भारत भी परमाणु के क्षेत्र में आगे बढ़ सका। इसके कारण उन्हें अमेरिका जैसे बड़े देश की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी इसकी परवाह नहीं की क्योंकि उन्हें तो अपने देश को बुलंदियों तक पहुँचाना था, जिसके लिए यह जरूरी था। प्रस्तुत पुस्तक में इंदिरा गांधी के संपूर्ण जीवन को संक्षेप में दर्शाने का प्रयास किया गया है। पुस्तक उनके पारिवारिक जीवन, राजनीतिक सफर, जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और अंततः दुःखद मृत्यु का संक्षिप्त किंतु रुचिपूर्ण विवरण प्रस्तुत करती है। यद्यपि यह जीवनी संक्षिप्त है किंतु फिर भी उनके जीवन की मुख्य घटनाओं पर पर्याप्त प्रकाश डालने में सक्षम है।&quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जिन्होंने अपने जीवनकाल में बहुत से ऐसे कार्य किए, जिनसे भारत देश को अपना अस्तित्व बनाए रखने में बहुत मदद मिली, बीसवीं सदी की विश्व की सर्वाधिक चर्चित महिला राजनीतिज्ञों में से एक थीं। उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। इंदिरा गांधी ने भारी समस्याओं एवं चुनौतियों का सामना करते हुए अपना संपूर्ण जीवन देश की प्रगति के लिये अर्पित कर दिया। 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान बांग्लादेश के गठन में उन्होंने एक सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे न केवल पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए बल्कि उसकी शक्ति भी आधी रह गई। इन्दिरा गांधी के निडर राजनीतिक नेतृत्व के कारण ही पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें ‘दुर्गा’ की संज्ञा दी थी। 1974 में उन्होंने पोखरण में परमाणु का परीक्षण करवाया जिससे भारत भी परमाणु के क्षेत्र में आगे बढ़ सका। इसके कारण उन्हें अमेरिका जैसे बड़े देश की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी इसकी परवाह नहीं की क्योंकि उन्हें तो अपने देश को बुलंदियों तक पहुँचाना था, जिसके लिए यह जरूरी था। प्रस्तुत पुस्तक में इंदिरा गांधी के संपूर्ण जीवन को संक्षेप में दर्शाने का प्रयास किया गया है। पुस्तक उनके पारिवारिक जीवन, राजनीतिक सफर, जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और अंततः दुःखद मृत्यु का संक्षिप्त किंतु रुचिपूर्ण विवरण प्रस्तुत करती है। यद्यपि यह जीवनी संक्षिप्त है किंतु फिर भी उनके जीवन की मुख्य घटनाओं पर पर्याप्त प्रकाश डालने में सक्षम है।</span><br></p>

Biography of 'Panjab Kesri' Lala Lajpat Rai (Hindi)

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<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;लाला लाजपत राय की जीवनी एक महान स्वतंत्रता सेनानी की जीवन-गाथा है जो स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीदों की प्रथम पंक्ति में थे। यद्यपि वे अपने जीवनकाल में स्वतंत्र भारत में सांस नहीं ले पाये फिर भी उनके सर्वोच्च बलिदान ने करोड़ों भारतीयों के लिये स्वतंत्रता का द्वार खोल दिया। लाला लाजपतराय ‘पंजाब केसरी’ के नाम से लोकप्रिय थे। यह उनके लिये एक पूर्णतः उपयुक्त उपाधि थी जिसे उन्होंने वीरतापूर्वक अपनी छाती पर लाठियां खाकर वास्तव में सार्थक सिद्ध कर दिया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद भी वे अंग्रेजों के विरुद्ध अपने आंदोलन एवं संघर्ष में डटे रहे। अंदर के पृष्ठों में इस बात का रोचक वर्णन है कि कैसे एक साधारण स्कूल-शिक्षक का एक विनम्र पुत्र एक प्रसिद्ध वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और एक स्वतंत्रता सेनानी बना जिसकी गणना महात्मा-गांधी, जवाहरलाल नेहरू और मदनमोहन मालवीय सरीखे शीर्ष नेताओं में हुई ओर जिसके सर्वोच्च बलिदान ने सरदार भगतसिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों को ब्रिटिश सरकार से इसका बदला लेने के लिये अपनी स्वयं की कुर्बानी देने के लिये प्रेरित किया।&quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">लाला लाजपत राय की जीवनी एक महान स्वतंत्रता सेनानी की जीवन-गाथा है जो स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीदों की प्रथम पंक्ति में थे। यद्यपि वे अपने जीवनकाल में स्वतंत्र भारत में सांस नहीं ले पाये फिर भी उनके सर्वोच्च बलिदान ने करोड़ों भारतीयों के लिये स्वतंत्रता का द्वार खोल दिया। लाला लाजपतराय ‘पंजाब केसरी’ के नाम से लोकप्रिय थे। यह उनके लिये एक पूर्णतः उपयुक्त उपाधि थी जिसे उन्होंने वीरतापूर्वक अपनी छाती पर लाठियां खाकर वास्तव में सार्थक सिद्ध कर दिया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद भी वे अंग्रेजों के विरुद्ध अपने आंदोलन एवं संघर्ष में डटे रहे। अंदर के पृष्ठों में इस बात का रोचक वर्णन है कि कैसे एक साधारण स्कूल-शिक्षक का एक विनम्र पुत्र एक प्रसिद्ध वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और एक स्वतंत्रता सेनानी बना जिसकी गणना महात्मा-गांधी, जवाहरलाल नेहरू और मदनमोहन मालवीय सरीखे शीर्ष नेताओं में हुई ओर जिसके सर्वोच्च बलिदान ने सरदार भगतसिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों को ब्रिटिश सरकार से इसका बदला लेने के लिये अपनी स्वयं की कुर्बानी देने के लिये प्रेरित किया।</span><br></p>

Biography of Pandit Jawaharlal Nehru (Hindi)

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<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले नेताओं में से एक थे। वे आजादी के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उन्हें आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जाना जाता है। वे बच्चों से अत्यधिक प्रेम करते थे, बच्चे भी प्यार से उन्हें चाचा नेहरू बुलाते थे। 1947 में वे स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता और दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन के संबंध में अंतिम निर्णय पर अपनी स्वीकृ ति देकर देश का भविष्य तय किया। पाकिस्तान के साथ नई सीमा पर बड़े पैमाने पर पलायन और दंगे, भारतीय संघ में 500 के करीब रियासतों का एकीकरण, नए संविधान का निर्माण, संसदीय लोकतंत्र के लिए राजनैतिक और प्रशासनिक ढांचे की स्थापना जैसी विकट चुनौतियों का सामना उन्होंने अत्यंत प्रभावी ढंग से किया। जवाहरलाल नेहरू के विषय में बहुत सी बातें जानकारी-योग्य हैं। प्रस्तुत पुस्तक उनके आध्यात्मिक ओर राजनीतिक जीवन के प्रायः सभी आयामों पर पर्याप्त प्रकाश डालती है, जिनमें उनके महात्मा गांधी से निकट-संबंध, शिक्षा, पारिवारिक एवं राजनीतिक जीवन एवं छोटी-बड़ी जेल-यात्राएँ भी सम्मिलित हैं। पुस्तक नेहरू के बचपन से लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री पद पर आरूढ़ होने और दुःखद मृत्यु होने तक का वर्णन करती है और दर्शाती है कि कैसे उनके उन्मुक्त विचार एवं निडर नेतृत्व लंबे समय तक ब्रिटिश सरकार की कैद में रहने पर भी स्वतंत्रता आंदोलन का संचालन करने हेतु कमजोर नहीं पड़े थे और अंततः विजयी हुए थे।&quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले नेताओं में से एक थे। वे आजादी के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उन्हें आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जाना जाता है। वे बच्चों से अत्यधिक प्रेम करते थे, बच्चे भी प्यार से उन्हें चाचा नेहरू बुलाते थे। 1947 में वे स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता और दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन के संबंध में अंतिम निर्णय पर अपनी स्वीकृ ति देकर देश का भविष्य तय किया। पाकिस्तान के साथ नई सीमा पर बड़े पैमाने पर पलायन और दंगे, भारतीय संघ में 500 के करीब रियासतों का एकीकरण, नए संविधान का निर्माण, संसदीय लोकतंत्र के लिए राजनैतिक और प्रशासनिक ढांचे की स्थापना जैसी विकट चुनौतियों का सामना उन्होंने अत्यंत प्रभावी ढंग से किया। जवाहरलाल नेहरू के विषय में बहुत सी बातें जानकारी-योग्य हैं। प्रस्तुत पुस्तक उनके आध्यात्मिक ओर राजनीतिक जीवन के प्रायः सभी आयामों पर पर्याप्त प्रकाश डालती है, जिनमें उनके महात्मा गांधी से निकट-संबंध, शिक्षा, पारिवारिक एवं राजनीतिक जीवन एवं छोटी-बड़ी जेल-यात्राएँ भी सम्मिलित हैं। पुस्तक नेहरू के बचपन से लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री पद पर आरूढ़ होने और दुःखद मृत्यु होने तक का वर्णन करती है और दर्शाती है कि कैसे उनके उन्मुक्त विचार एवं निडर नेतृत्व लंबे समय तक ब्रिटिश सरकार की कैद में रहने पर भी स्वतंत्रता आंदोलन का संचालन करने हेतु कमजोर नहीं पड़े थे और अंततः विजयी हुए थे।</span><br></p>

Biography of Kalpana Chawla (Hindi)

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<p><span data-sheets-value="{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:&quot;यह पुस्तक कल्पना चावला की जीवन-गाथा है जो कि भारतीय मूल की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री थीं। कल्पना चावला अपने कड़े परिश्रम एवं अध्ययन द्वारा सफलता की ऊँचाइयों को छूने का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं और इसके लिये समस्त भारतीय समुदाय की श्रद्धा एवं प्रेम की पात्र हैं। वह स्त्री-पुरुष की परस्पर समानता की उत्तम द्योतक थीं एवं महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्ति हेतु प्रोत्साहन की समर्थक थीं। पुस्तक कल्पना चावला के बचपन, परिवार, शिक्षा एवं अंतरिक्ष विज्ञान में उनके योगदान पर पर्याप्त प्रकाश डालती है। वह भारतीय मूल की प्रथम महिला थीं जो अपनी कड़ी मेहनत और गहन अध्ययन द्वारा दो बार अंतरिक्ष की ऊँचाइयों को छू सकीं थीं। अपनी इस असाधारण प्रतिभा एवं उपलब्धि द्वारा वह दृढ़ता एवं साहस का प्रतीक बन गईं। पुस्तक, इस असाधारण साहसी महिला की रोमांचक जीवन-यात्रा, शिक्षा, नासा में प्रशिक्षण एवं अंतरिक्ष यात्रा और उसमें ऐसे क्या गुण थे जिन्होंने उसे भारत के समस्त युवा वर्ग की प्रेरणा एवं श्रद्धा का पात्र बना दिया, पर भी पर्याप्त प्रकाश डालती है। पुस्तक यह भी दर्शाती है कि कैसे हरियाणा राज्य में करनाल जिले के एक छोटे-से कस्बे की एक साधारण-सी लड़की अनेक महाद्वीपों एवं महासागरों को लांघकर अनंत अंतरिक्ष की खोज में एक विदेशी संस्कृति को अपनाती है और फिर अपनी उस महान अंतहीन खोज में स्वयं अनंत अंतरिक्ष में विलीन हो जाती है।&quot;}" data-sheets-userformat="{&quot;2&quot;:12477,&quot;3&quot;:{&quot;1&quot;:0,&quot;3&quot;:1},&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;6&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;7&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;8&quot;:{&quot;1&quot;:[{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0,&quot;5&quot;:{&quot;1&quot;:2,&quot;2&quot;:0}},{&quot;1&quot;:0,&quot;2&quot;:0,&quot;3&quot;:3},{&quot;1&quot;:1,&quot;2&quot;:0,&quot;4&quot;:1}]},&quot;10&quot;:1,&quot;15&quot;:&quot;Calibri&quot;,&quot;16&quot;:11}" style="font-size: 11pt; font-family: Calibri, Arial;">यह पुस्तक कल्पना चावला की जीवन-गाथा है जो कि भारतीय मूल की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री थीं। कल्पना चावला अपने कड़े परिश्रम एवं अध्ययन द्वारा सफलता की ऊँचाइयों को छूने का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं और इसके लिये समस्त भारतीय समुदाय की श्रद्धा एवं प्रेम की पात्र हैं। वह स्त्री-पुरुष की परस्पर समानता की उत्तम द्योतक थीं एवं महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्ति हेतु प्रोत्साहन की समर्थक थीं। पुस्तक कल्पना चावला के बचपन, परिवार, शिक्षा एवं अंतरिक्ष विज्ञान में उनके योगदान पर पर्याप्त प्रकाश डालती है। वह भारतीय मूल की प्रथम महिला थीं जो अपनी कड़ी मेहनत और गहन अध्ययन द्वारा दो बार अंतरिक्ष की ऊँचाइयों को छू सकीं थीं। अपनी इस असाधारण प्रतिभा एवं उपलब्धि द्वारा वह दृढ़ता एवं साहस का प्रतीक बन गईं। पुस्तक, इस असाधारण साहसी महिला की रोमांचक जीवन-यात्रा, शिक्षा, नासा में प्रशिक्षण एवं अंतरिक्ष यात्रा और उसमें ऐसे क्या गुण थे जिन्होंने उसे भारत के समस्त युवा वर्ग की प्रेरणा एवं श्रद्धा का पात्र बना दिया, पर भी पर्याप्त प्रकाश डालती है। पुस्तक यह भी दर्शाती है कि कैसे हरियाणा राज्य में करनाल जिले के एक छोटे-से कस्बे की एक साधारण-सी लड़की अनेक महाद्वीपों एवं महासागरों को लांघकर अनंत अंतरिक्ष की खोज में एक विदेशी संस्कृति को अपनाती है और फिर अपनी उस महान अंतहीन खोज में स्वयं अनंत अंतरिक्ष में विलीन हो जाती है।</span><br></p>